शायरी
Tuesday, February 26, 2013
मेरी किस्मत में तू नहीं है,
फिर क्यूँ तेरी ये आस है।
है तू मीलों दूर मुझसे,
फिर भी लगती क्यूँ तू पास है।।
हज़ारों ख्वाहिशें थी उसे पाने की,
कभी न की परवाह इस ज़माने की।
पर वो न समझ पाई प्यार मेरा कभी,
क्योंकि उसे आदत थी नए दोस्त बनाने की।।
तेरा वो मुस्कुराना, तेरा वो शरमाना।
याद आता है बहुत तेरा वो रूठ जाना,
तेरा वो रोना मेरा वो मनाना,
याद आता है बहुत गुज़रा वो ज़माना।।
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