ओ दिन नी औणे मुड़ी कन्ने ,
जेह्ड़े स्कूला असां बिताये थे।
सबणा सुनाया " थर्स्टी क्रो ",
कन्ने अस्सां घस्से खाए थे।।
ओ दिन नी औणे मुड़ी कन्ने ,
जेह्ड़े स्कूला असां बिताये थे।
"घाटा" रे स्कूला पढ़ना गए ता,
मत्ते सारे नौएं दोस्त बनाये थे।
मुनियाँ भी बड़ी छेल थीआँ ,
जिन्हां पर आसां रे दिल आये थे।।
ओ दिन नी औणे मुड़ी कन्ने ,
जेह्ड़े स्कूला असां बिताये थे।
स्यों आंदियाँ थी हमेशा फर्स्ट,
अस्सां फेलियारां च छाये थे,
अस्सां जो बणा थे रोज़ ही मुर्गा,
कदी नी तिन्हाँ गे कान पकड्वाए थे।।
ओ दिन नी औणे मुड़ी कन्ने ,
जेह्ड़े स्कूला असां बिताये थे।
घरा वालेयाँ फ्यूचर बारे सोचेया,
तांही कांगड़े पॉली छड्डी आये थे।
तीथी ता लगे होर भी मजे,
स्कूला छड्डी कोलजा जे चली आये थे।।
ओ दिन नी औणे मुड़ी कन्ने ,
जेह्ड़े स्कूला असां बिताये थे।
कालजा छड्डी जे आये ता,
सारा ही मज़ा गवाई आये थे।
ओ दोस्त मीलदे भी नी हुण ,
जिन्हा सोगी पहले पेग लगाये थे।।
ओ दिन नी औणे मुड़ी कन्ने ,
जेह्ड़े स्कूला असां बिताये थे।।
जेह्ड़े स्कूला ........................।
-संतोष कुमार सकलानी।
जेह्ड़े स्कूला असां बिताये थे।
सबणा सुनाया " थर्स्टी क्रो ",
कन्ने अस्सां घस्से खाए थे।।
ओ दिन नी औणे मुड़ी कन्ने ,
जेह्ड़े स्कूला असां बिताये थे।
"घाटा" रे स्कूला पढ़ना गए ता,
मत्ते सारे नौएं दोस्त बनाये थे।
मुनियाँ भी बड़ी छेल थीआँ ,
जिन्हां पर आसां रे दिल आये थे।।
ओ दिन नी औणे मुड़ी कन्ने ,
जेह्ड़े स्कूला असां बिताये थे।
स्यों आंदियाँ थी हमेशा फर्स्ट,
अस्सां फेलियारां च छाये थे,
अस्सां जो बणा थे रोज़ ही मुर्गा,
कदी नी तिन्हाँ गे कान पकड्वाए थे।।
ओ दिन नी औणे मुड़ी कन्ने ,
जेह्ड़े स्कूला असां बिताये थे।
घरा वालेयाँ फ्यूचर बारे सोचेया,
तांही कांगड़े पॉली छड्डी आये थे।
तीथी ता लगे होर भी मजे,
स्कूला छड्डी कोलजा जे चली आये थे।।
ओ दिन नी औणे मुड़ी कन्ने ,
कालजा छड्डी जे आये ता,
सारा ही मज़ा गवाई आये थे।
ओ दोस्त मीलदे भी नी हुण ,
जिन्हा सोगी पहले पेग लगाये थे।।
ओ दिन नी औणे मुड़ी कन्ने ,
जेह्ड़े स्कूला असां बिताये थे।।
जेह्ड़े स्कूला ........................।
-संतोष कुमार सकलानी।
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